केंद्र सरकार ने सहकारी बैंकों को भी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दायरे में लाएगी। इसके लिए बैंकिंग कानून में बदलाव किया जाएगा। इसके बाद सहकारी बैंकों का भी ऑडिट होगा। इसके लिए मौजूदा बैंकिंग कानून में बदलाव करने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को एक विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी है। बैंक में गड़बड़ी की बात सामने आने पर रिजर्व बैंक को उसका प्रबंधन अपने हाथ में लेने का अधिकार होगा। आरबीआई चरणबद्ध तरीके से इसे लागू करेगा।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन के लिए दो-तीन दिन में संसद में विधेयक लाया जाएगा। इससे सहकारी बैंक रिजर्व बैंक के दायरे में आ जाएंगे, जबकि प्रशासनिक कामकाज पहले की तरह कोऑपरेटिव सोसाइटीज अधिनियम के तहत बने रहेंगे। जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए यह बदलाव किया जा रहा है। इससे आरबीआई के सभी निर्देश सहकारी बैंकों के लिए भी लागू होंगे।
देश में 1540 सहकारी बैंक
देश में विभिन्न श्रेणियों के 1540 सहकारी बैंक हैं। इनमें आठ करोड़ 40 लाख खाताधारकों के 5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा जमा हैं। आरबीआई के दायरे में आने के बाद सहकारी बैंकों के खाताधारकों को भी जमा पर पांच लाख रुपए तक की गारंटी मिल सकेगी।